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क्या मोदी कारक तमिलनाडु में पहली बार गठबंधन की अगुवाई करेगा?

 BJP तमिलनाडु में अपनी सहयोगी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) से अलग हो गया है। 2019 के तेलंगाना लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चार सीटें जीती थीं, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद कांग्रेस मजबूत दिख रही है।

चैनई: तमिलनाडु, दक्षिण भारत के पांच राज्यों में से एक है, जहां बीजेपी लोकसभा चुनावों में जीत की उम्मीद कर रही है, कर्नाटक के बाद दूसरा है। 19 अप्रैल को तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों पर पहले फेज में मतदान होगा। यह संघर्ष त्रिकोणीय है। DMK-कांग्रेस अलायंस सर्वश्रेष्ठ है। कुछ छोटी पार्टियों ने दूसरा अलायंस AIADMK बनाया है। BJP-PMK तीसरा अलायंस है। AIADMK पहले BJP का सहयोग था। पिछले महीनों में प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु और चेन्नई में कई रैलियां की हैं। PM ने कई मंचों पर तमिल संस्कृति और इतिहास की वकालत की है। दशकों से राज्य पर हावी रही द्रविड़ राजनीति में अब BJPप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है। यही कारण है कि तमिलनाडु में मोदी का प्रभाव कितना महत्वपूर्ण है? राज्य में जातिगत राजनीति का प्रभाव क्या है?

DMK के वोट शेयर में सेंध लगाना जरूरी

 DMK को तमिलनाडु में बीजेपी से समान लाभ मिलता है। BJP DMK के वोटों में सेंध लगाए बिना जीत नहीं कर सकती। प्रधानमंत्री का करिश्मा वोटों को लाता है।"

DMK के अध्यक्ष मनुराज सुंदरम ने कहा, "मीडिया जगत और आम लोगों के बीच प्रधानमंत्री को काफी तवज्जो मिलती है..।" हम खुश हैं कि प्रधानमंत्री तमिलनाडु अक्सर आते रहते हैं।"

चुनाव में उचित मुद्दे उठाने वाले को लाभ होगा
“हालांकि, इसमें दो महत्वपूर्ण बातें हैं,” सुंदरम ने कहा। पहला: दिल्ली पर अब अविश्वास की भावना है। परिसीमन प्रक्रिया भी काफी चिंताजनक है। इससे उत्तर राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व कम होगा। दूसरा, एक तरह की राजनीति ने तमिलनाडु को प्रभावित किया है। हम द्रविड़ या समाजवादी राजनीति से बहुत जुड़े हैं।मनुराज सुंदरम ने कहा, "चुनाव में जो इन मुद्दों को उठाएगा और समाधान बताएगा, जनता
उसके साथ रहेगी।"


युवा मतदाता क्या सोचते हैं, क्या उम्मीदें करते हैं?

AIADMK प्रवक्ता अप्सरा रेड्डी ने कहा, "मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं।" वे राज्यों को समानता की ओर देखना चाहिए।"पीएम का अप्रोच सीजनल है," उन्होंने कहा। अर्थात् वे समय के साथ बदलते हैं। वह चुनावों की घोषणा होने पर यहां आते हैं। तिरुक्कुरल की कुछ लाइनें पढ़कर आप तमिल नहीं बन जाते। इससे अधिक सीटें या वोट नहीं मिलेंगे। तमिलों को कुछ ठोस करना होगा।"

तमिलनाडु में बीजेपी का गठबंधन किसके साथ है?
तमिलनाडु में भाजपा ने पहली बार एक गठबंधन का नेतृत्व किया है।करती है। 2014 में भी BJP ने थर्ड फ्रंट बनाया था, लेकिन तब DMDK विजयकांत था। PMK इस बार BJP से मिल गया है। इसका नेतृत्व पूर्व यूनियन मिनिस्टर रामदास करते हैं। ये OBC जाति पार्टी है। इन्हें BJP ने 10 सीटें दी हैं। इनका वोट शेयर 5 प्रतिशत रहता है। PMK उत्तरी तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र पर प्रभाव डालने वाली पार्टी है। BJP इस क्षेत्र में कम प्रभावी है।

भाजपा ने भी अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम, या AMMK, से मिलकर काम किया है। ये पार्टी शशिकला के भांजे टीटीवी दिनाकरण की है, जो पूर्व सीएम जयललिता से बहुत करीब है। समझौते के परिणामस्वरूप इसे दो सीटें मिली हैं। इस पार्टी का तमिलनाडु साउथ पर प्रभाव है। इसके अलावा धार्मिक पार्टीइसने तमिल मनीला कांग्रेस से भी समझौता किया है। इस पार्टी का नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन हैं। गठबंधन में कई छोटी-छोटी पार्टियां भी शामिल हैं।

Annamlai का बढ़ रहा कद कोयंबटूर भाजपा का ट्रेडिशनली मजबूत क्षेत्र है। साउथ तमिलनाडु में गाउंडर समाज सबसे शक्तिशाली है। पलानीस्वामी इस समाज का नेता हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई भी इसी गाँव से हैं। महान नेता अन्नामलाई को कोयंबटूर से टिकट मिल गया। वे सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हैं और गाउंडर युवाओं का भरपूर समर्थन मिल रहा है। First Time Voters भी अन्नामलाई के पक्ष में हैं।

तमिलनाडु में जातिगत राजनीति का प्रभाव क्या है?

आजादी से पहले तमिलनाडु की ब्राह्मण राजनीतिका काफी वर्चस्व था, लेकिन द्रविड़ आंदोलन और दलित राजनीति के बढ़ने से उनका वर्चस्व यहां कम होता चला गया। BJP को इस क्षेत्र में लाभ नहीं मिलता क्योंकि उनकी राजनीतिक विचारधारा हिंदुत्व है। तमिलनाडु में हिंदुत्व की जगह द्रविड राजनीति है। भाषा सबसे पहला और सबसे बड़ा विरोध है। हिंदुत्ववादी राजनीति में संस्कृत का महत्वपूर्ण स्थान है। विपरीत, द्रविड़ राजनीति में तमिल महत्वपूर्ण है। जातिगत राजनीति और हिंदुत्व बनाम द्रविड़ की राजनीति बेशक चुनाव के केंद्र में रहेंगे। अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी हिंदुत्व की राजनीति पर कितना प्रभाव डालती है।

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